सुविधा और उच्चीकृत इलाज के नाम पर यूपी में चल रहा सिंडिकेट! आखिर क्यों हो रहे एक के बाद एक इस्तीफे? - Lalluram

10/2/2025, 9:46:27 AM
विक्रम मिश्र, लखनऊ. राजधानी लखनऊ में इलाज और शिक्षा को लेकर लगातार सरकार मुहिम चलाती है. बावजूद इसके उचित उपचार और रोजगारपरक शिक्षा व्यवस्था आम इंसान के पहुंच से कोसो दूर ही है. हाल ही में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री को प्रदेश के सर्वोच्च सरकारी संस्थान संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में स्ट्रोक के इलाज के लिए भर्ती करवाया गया था. लेकिन कुछ समय के बाद उच्चीकृत इलाज का हवाला देकर कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर को एसजीपीजीआई से निकालकर डॉक्टर नरेश त्रेहान के निजी संस्थान मेदांता में भर्ती करवाया गया और इलाज भी किया गया. ये तो महज एक मामला है ऐसे कई और भी मामले है जिसमें बड़े लोग या जो नीति निर्माता है वो लोग प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज करवाते हैं. जब इस सरकारी बनाम प्राइवेट अस्पताल के कॉकस को समझने की कोशिश की गई तो कई तथ्य सामने आए. हालांकि इससे पहले आपको बता दें कि KGMU के एक और सीनियर डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया है. न्यूरोलॉजी के डॉ. पीके शर्मा ने रिजाइन किया है. वैसे तो इस इस्तीफे के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया गया है. लेकिन असल में चिकित्सक को एक बड़े निजी संस्थान से आफर मिल चुका है. अभी तक साल 2025 में महज एक संस्थान किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय से 7 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं. प्रदेश में लगातार सुविधा और उच्चीकृत इलाज के नाम पर एक सिंडिकेट कार्य कर रहा है. जबकि सरकारी अस्पतालों में बेड खाली नहीं होना और डॉक्टर्स की चिकित्सकीय व्यवस्था में हीलाहवाली सामने आती है. हालांकि एक महत्वपूर्ण मामला और भी है, वो है प्राइवेट संस्थानों में सरकारी व्यवस्था का इनपुट होना. आप ऐसे समझिए कि कभी भी इलाज के लिए मरीज संस्थान से ज़्यादा डॉक्टर की ख्याति पर विश्वास करता है. ऐसे में सरकारी बड़े संस्थानों से महत्वपूर्ण डॉक्टर्स को प्राइवेट संस्थानों में जाने पर प्राइवेट संस्थान की इनकम भी बढ़ती है. जबकि डॉक्टर को बिना किसी लागलपेट अच्छा इंसेंटिव मिल जाता है. लेकिन ये चिंता का विषय है और गरीब व्यक्ति के इलाज और बेहतर उपचार के लिए सरकारी दावों पर सरकार बैकफुट पर नजर आती है.