Pappu Yadav strongman leader of Bihar whose single roar could even silence Chief Minister | Pappu Yadav:बिहार का वो बाहुबली नेता, जिसकी एक हुंकार पर मुख्यमंत्री भी थम जाया करते थे | News Track in Hindi

10/2/2025, 10:25:26 AM
Pappu Yadav: बिहार की राजनीति में पप्पू यादव एक ऐसा नाम हैं, जिन्हें चाहकर भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। महज़ 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सियासत के गलियारों में दस्तक दे दी थी। करपुरी ठाकुर की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपने ही फूफा अनूप लाल यादव के खिलाफ लॉबिंग कर जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव को विपक्ष का नेता बनवाने में अहम भूमिका निभाई। जब जनता दल ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो मात्र 23 साल की उम्र में उन्होंने पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की और विधायक बने। उनके राजनीतिक जीवन में कई विवाद भी जुड़े। अजीत सरकार हत्याकांड से उनका नाम जुड़ा, वहीं बाहुबली आनंद मोहन सिंह से उनकी अदावत के चर्चे पूर्णिया की गलियों में अक्सर सुनाई देते रहे। 1995 में जब 'पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस' का मास्टरमाइंड गिरफ्तार हुआ, तो उसने पप्पू यादव का नाम लेकर सभी को चौंका दिया। उनकी लव स्टोरी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं -- उन्होंने चर्चित नेता रंजीत रंजन से रोमांटिक अंदाज़ में शादी रचाई, जो आज भी लोगों की ज़ुबान पर है। राजद और तेजस्वी यादव के साथ उनके रिश्तों में कभी प्यार था, तो कभी तकरार। इन्हीं कारणों से उन्होंने अपनी पार्टी 'जन अधिकार पार्टी' (JAP) की स्थापना की। एक दौर ऐसा भी आया जब उन्होंने समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी का विलय कर दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2024 में जब इंडिया एलायंस की रणनीति बन रही थी, पप्पू यादव ने राजद और कांग्रेस दोनों से तालमेल बिठाने की कोशिश की, ताकि पूर्णिया से लालू यादव की पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकें। लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस का भी दरवाज़ा खटखटाया पर किस्मत ने साथ नहीं दिया। आखिरकार, उन्होंने एक बार फिर निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया। तेजस्वी यादव की भारी कोशिशों के बावजूद, उन्होंने बीमा भारती को हराकर सबको चौंका दिया। कभी बाहुबली के नाम से पहचान बनाने वाले पप्पू यादव अब खुद को 'मॉडर्न डे रॉबिनहुड' की छवि में ढाल चुके हैं। पप्पू यादव का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके दादा लक्ष्मी मंडल, गांव के सरपंच रह चुके थे, जिससे राजनीति का बीज उनके परिवार में पहले से ही मौजूद था। लेकिन पप्पू यादव का प्रारंभिक जीवन शांतिपूर्ण नहीं रहा। स्कूली दिनों से ही उनका झुकाव आपराधिक गतिविधियों की ओर हो गया था। एक झड़प के दौरान उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा। यहीं से उनके जीवन की दिशा बदल गई। जेल में उनकी मुलाकात पूर्णिया के दबंग नेता अर्जुन यादव से हुई, जिसने उन्हें अपराध और राजनीति की दुनिया में घसीट लिया। 12वीं कक्षा के दौरान ही उन पर कटिहार कॉलेज के एक छात्र की हत्या का आरोप लगा, और उन्हें जेल से ही परीक्षा देनी पड़ी। 1987 में अर्जुन यादव की हत्या के बाद उनका पूरा गैंग पप्पू यादव के नियंत्रण में आ गया। इसी समय उनकी दुश्मनी कुख्यात बाहुबली नेता आनंद मोहन से शुरू हुई, जो आगे चलकर एक हिंसक प्रतिद्वंद्विता में बदल गई। पप्पू यादव का राजनीति में प्रभाव बहुत ही कम उम्र में दिखने लगा। * नेता प्रतिपक्ष बनाने में भूमिका (1988): महज 21 वर्ष की उम्र में, बिना विधायक हुए भी, उन्होंने लालू यादव को नेता प्रतिपक्ष बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। यह उन्होंने अपने रिश्तेदार और लालू के प्रतिद्वंद्वी अनूप लाल यादव के खिलाफ जाकर किया। * निर्दलीय विधायक (1990): जब लालू यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और मात्र 23 साल की उम्र में मधेपुरा के सिंघेश्वर से विधायक बने। * लालू को मुख्यमंत्री बनवाना: 1990 में जब मुख्यमंत्री बनने के लिए 41 विधायकों की जरूरत थी, पप्पू यादव ने 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन दिलवाकर लालू यादव को मुख्यमंत्री बनने में मदद की। हालांकि, इन सबके बावजूद लालू यादव और पप्पू यादव के रिश्ते हमेशा उतार-चढ़ाव भरे रहे। लालू यादव को पप्पू यादव के बढ़ते कद से खतरा महसूस होता था और उन्होंने पप्पू को चेताया था कि वे "यादवों के नेता" बनने की कोशिश न करें। 1. पुरुलिया हथियार कांड (1995) इस सनसनीखेज मामले में, 17 दिसंबर 1995 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में एक विमान से भारी मात्रा में हथियार गिराए गए थे। इस घटना का मास्टरमाइंड किम डेवी ने दावा किया कि पप्पू यादव ने उसे भारत से भागने में मदद की थी। पप्पू यादव ने इस पर कभी सफाई नहीं दी। 2. अजीत सरकार हत्याकांड (1998) पूर्णिया के सीपीआई (एम) विधायक अजीत सरकार की दिनदहाड़े 107 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में पप्पू यादव मुख्य आरोपी बने। उन्हें 2004 में गिरफ्तार किया गया और लगभग एक दशक जेल में बिताया। 2013 में पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। 3. जेल में शाही जीवन जेल में भी पप्पू यादव का जीवन बेहद आलीशान था। मोबाइल फोन, विशेष भोजन और अधिकारियों से संपर्क जैसी सुविधाएं उनके पास थीं। एक बार तो उनके मोबाइल कॉल डिटेल्स में कई वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों के नंबर तक पाए गए थे। 90 के दशक में कोसी-सीमांचल क्षेत्र पप्पू यादव और राजपूत नेता आनंद मोहन के बीच खूनी गैंगवॉर के लिए बदनाम था। * मंडल आंदोलन के समय पप्पू यादव मंडल समर्थक थे, जबकि आनंद मोहन इसका विरोध कर रहे थे। * 1991 के मधेपुरा लोकसभा चुनाव में जब पप्पू यादव ने शरद यादव का समर्थन किया, तब यह दुश्मनी अपने चरम पर पहुंच गई। हालांकि, वर्षों बाद जब दोनों जेल में बंद थे, तो संबंधों में नरमी आई। फरवरी 2023 में, आनंद मोहन की बेटी की शादी में पप्पू यादव मेहमान के तौर पर शामिल हुए और दोनों नेताओं को गले मिलते हुए देखा गया। बाहुबली छवि के बावजूद, पप्पू यादव को आम जनता के बीच "गरीबों का मसीहा" कहा जाता रहा है। * 24 घंटे बिजली: उनके डर से प्रशासन ने पूर्णिया में 24 घंटे बिजली देना शुरू कर दिया था। * मुफ्त इलाज: डॉक्टरों पर गरीबों का मुफ्त इलाज करने का दबाव बनाया। * भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग: भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को 10 लाख रुपये तक का इनाम देने की घोषणा की। * आपदाओं में मदद: 2001 के भुज भूकंप, बिहार की बाढ़, और कोरोना महामारी में मदद करने सबसे पहले पहुंचे। * संसद में पुरस्कार: 2015 में उन्हें "बेस्ट परफॉर्मिंग एमपी" का अवॉर्ड भी मिला। सोशल मीडिया ने उनकी "बाहुबली" छवि को "जनता के सेवक" की छवि में बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। अक्टूबर 2024 में, एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद पप्पू यादव ने लॉरेंस बिश्नोई को धमकी दी। लेकिन बाद में वायरल वीडियो में वह बैकफुट पर दिखे और अपनी बात को "राजनीतिक बयान" बताया। बाद में सामने आया कि उन्हें धमकी देने वाला व्यक्ति वास्तव में लॉरेंस गैंग से जुड़ा नहीं था। पुलिस जांच में पता चला कि यह पूरी कहानी एक सुरक्षा पाने की रणनीति हो सकती थी, क्योंकि बाद में एक आरोपी ने स्वीकार किया कि धमकी देने के लिए उसे पैसे और पद का लालच दिया गया था। पप्पू यादव की प्रेम कहानी भी कम रोचक नहीं है। उन्होंने 1994 में रंजीत रंजन से विवाह किया, जो वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। * पप्पू ने पहली बार रंजीत को उनके भाई के फैमिली एल्बम में तस्वीर देखकर पसंद किया था। * रंजीत के सिख परिवार को मनाने के लिए उन्होंने सिख धर्म अपनाने तक की बात कही थी। * इस प्रेम कहानी को कांग्रेस नेता एस.एस. अहलूवालिया ने मुकाम तक पहुँचाने में मदद की। 2024 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक पकड़ का लोहा मनवाया। * वे पूर्णिया से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन लालू यादव ने यह सीट बीमा भारती को दे दी। * इसके बाद पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया, लेकिन टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा। * परिणामस्वरूप, उन्होंने 25,000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की, जबकि राजद प्रत्याशी बीमा भारती की जमानत जब्त हो गई। यह परिणाम तेजस्वी यादव के लिए एक व्यक्तिगत झटका माना गया और पप्पू यादव ने एक बार फिर अपने प्रभावशाली नेतृत्व का प्रदर्शन किया।